स्वामी ने कहा, ‘चंद्रशेखर सेवा प्रमुख , गुप्तचर प्रमुखों और केबिनेट सचिव से बात करने के बाद मुझसे सहमत हुए और निर्देश दिया कि सरकार झंडा फहराये और यदि कोई समस्या खड़ी होती है तो सेना सुरक्षा मुहैया कराये.’ उन्होंने कहा, ‘राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने बाद में इससे सहमति जताने के साथ ही 26 जनवरी 1991 को तिरंगा झंडा फहराये जाने के दौरान शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने में सहयोग प्रदान किया.’
उन्होंने कहा कि लाल चौक को कोई बाजार क्षेत्र नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक स्थान है जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री भी स्वीकार कर चुके हैं इसलिए वह मांग करते हैं कि 26 जनवरी को वहां पर तिरंगा फहराया जाए. यदि राज्य सरकार सहयोग नहीं करती है तो राज्य में केंद्र शासन घोषित करके शासन व्यवस्था सेना को सौंप दिया जाए.
उन्होंने कहा कि लाल चौक को कोई बाजार क्षेत्र नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक स्थान है जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री भी स्वीकार कर चुके हैं इसलिए वह मांग करते हैं कि 26 जनवरी को वहां पर तिरंगा फहराया जाए. यदि राज्य सरकार सहयोग नहीं करती है तो राज्य में केंद्र शासन घोषित करके शासन व्यवस्था सेना को सौंप दिया जाए.
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