Tuesday, January 25, 2011

आरम्भ है प्रचंड

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुण्ड
आज जंग की घडी की तुम गुहार दो
आन बाण शान या की जान का हो दान
आज इक धनुष के बाण पे उतार दो

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुण्ड
आज जंग की घडी की तुम गुहार दो
आन बाण शान या की जान का हो दान
आज इक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचंड

मन करे सो प्राण दे
जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्वशक्तिमान है
मन करे सो प्राण दे
जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्वशक्तिमान है

कृष्ण की पुकार है
ये भगवत का सार है
की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है
कौरवों की भीड़ हो या
पांडवों का नीद हो
जो लड़ सका है वोही तो महान है

जीत की हवस नहीं
किसी पे कोई वश नहीं
कया ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं
तो मौत से भी क्यूँ डरे
ये जाके आसमान में दहाड़ दो

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुण्ड
आज जंग की घडी की तुम गुहार दो
आन बाण शान या की जान का हो दान
आज इक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचंड

हो दया का भाव
या की शौर्य का चुनाव
या की हार का वो घाव
तुम ये सोच लों
हो दया का भाव
या की शौर्य का चुनाव
या की हार का वो घाव
तुम ये सोच लों

या की पूरे भाल पर
जला रहे विजय का
लाल लाल ये गुलाल
तुम ये सोच लों

रंग केसरी हो या
मृदंग केसरी हो या
की केसरी हो ताल
तुम ये सोच लों

जिस कवी की कल्पना में
ज़िन्दगी हो प्रेम गीत
उस कवी को आज तुम नकार दो
भीगती नसों में आज
फूलती रगों में आज
आग की लापत का तुम बघार दो

आरम्भ है प्रचंड
बोले मस्तकों के झुण्ड
आज जंग की घडी की तुम गुहार दो
आन बाण शान या की जान का हो दान
आज इक धनुष के बाण पे उतार दो
आरम्भ है प्रचंड
आरम्भ है प्रचंड
आरम्भ है प्रचंड

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